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सी-डॉट ने “सेल-फ्री 6जी एक्सेस पॉइंट्स के विकास” के लिए आईआईटी रुड़की और आईआईटी मंडी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

Pradeep Tiwari
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सी-डॉट ने “सेल-फ्री 6जी एक्सेस पॉइंट्स के विकास” के लिए आईआईटी रुड़की और आईआईटी मंडी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए

इसका उद्देश्य कनेक्टिविटी, सिग्नल की शक्ति और डेटा की गति को बढ़ाना और 6जी मानकीकरण, पेटेंट और व्यावसायीकरण में योगदान देना है

यह परियोजना ‘भारत 6जी विजन’ के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को 6जी प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ नवाचार, कनेक्टिविटी और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना है

 

स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डॉट) के एक प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने ‘सेल-फ्री’ 6जी एक्सेस पॉइंट्स के विकास के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी (आईआईटी मंडी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों आईआईटी संस्थान इस प्रौद्योगिकी के विकास के लिए सहयोग कर रहे हैं।

इस समझौते पर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं। इसे दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, व्यावसायीकरण में शामिल घरेलू कंपनियों, भारतीय स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस योजना का उद्देश्य किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम बनाना है, जो पूरे देश में डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पारंपरिक मोबाइल नेटवर्क सेलुलर टोपोलॉजी का उपयोग करते हैं जिसमें प्रत्येक सेल को मोबाइल ग्राहकों की सेवा के लिए 4जी/5जी जैसे एकल बेस स्टेशन द्वारा सेवा प्रदान की जाती है। सेल-फ्री मैसिव मीमों (मल्टीपल-इनपुट और मल्टीपल-आउटपुट) एक ही समय में कई उपयोगकर्ता उपकरणों की सेवा करने के लिए एक व्यापक क्षेत्र में कई एक्सेस पॉइंट (एपीतैनाती द्वारा सेल और सेल सीमाओं के विचार को समाप्त करती है। बड़ी संख्या में एपी प्रत्येक उपयोगकर्ता के प्रति उनके कवरेज क्षेत्र के अंतर्गत समर्पित होते हैंजिसका अर्थ है एक एकल उपयोगकर्ता को कई एपी द्वारा समर्थन प्रदान किया जा सकता है। यह उपयोगकर्ताओं को सर्वव्यापी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के साथ-साथ डैड जोन समाप्त करता है, सिग्नल की ताकत बढ़ाता है और डेटा गति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी एक असाधारण उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करता है।

यह 6जी परियोजना आगामी 6जी रेडियो एक्सेस नेटवर्क को सक्षम बनाने के लिए एपी विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसका उद्देश्य 6जी मानकीकरण गतिविधि में योगदान करना, व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पैदा करना और उभरते हुए 6जी परिदृश्य की सहायता के लिए कुशल कार्यबल विकसित करना है।

 

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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