सिंगल नेशनल सॉफ्टवेयर नेटवर्क
भारत सरकार 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए परियोजना को कार्यान्वित कर रही है, जिसमें सभी कार्यात्मक पैक्स को ईआरपी (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) आधारित कॉमन नेशनल सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। इस परियोजना के लिए राष्ट्रीय स्तर का कॉमन सॉफ्टवेयर नाबार्ड द्वारा विकसित किया गया है और 21.07.2024 तक 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 25,904 पैक्स को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर शामिल किया गया है।
पैक्स की व्यवहारिकता बढ़ाने और उन्हें पंचायत स्तर पर जीवंत आर्थिक इकाई बनाने के लिए उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने के लिए, सभी हितधारकों के परामर्श के बाद सरकार द्वारा पैक्स के लिए मॉडल उपनियम तैयार किए गए हैं, इससे पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों को शुरू करके अपनी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने में सहायता मिलेगी, जिसमें डेयरी, मत्स्य पालन, फूलों की खेती, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्न, उर्वरक, बीज, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल वितरण, अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण, कस्टम हायरिंग सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर, उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस), सामुदायिक सिंचाई, व्यवसाय संवाददाता गतिविधियां आदि शामिल हैं। मॉडल उपनियमों को अपनाकर, पीएसीएस ग्रामीण क्षेत्रों में सदस्य किसानों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने वाले बहु-सेवा केंद्रों के रूप में काम करने में सक्षम होंगे। वे पैक्स की परिचालन दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में सहायता करेंगे; किसान सदस्यों को कृषि ऋण और विभिन्न गैर-ऋण सेवाएं प्रदान करके उन्हें आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेंगे।