सरकार ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है
सरकार पिछड़े क्षेत्रों सहित पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए जीवन चक्र निरंतरता आधार पर बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे वे देश के विकास की प्रक्रिया का नेतृत्व कर सकें।
पिछले कुछ वर्षों में, झारखंड सहित पूरे देश में महिलाओं के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लिए अनेक पहल की गई हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2022-23 से 15वें वित्त आयोग की अवधि में ‘मिशन शक्ति’ नामक अम्ब्रेला योजना लागू कर रहा है। इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के लिए मध्यवर्तन को मजबूत करना है तथा जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करके “महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करना है। यह मंत्रालयों/विभागों और शासन के विभिन्न स्तरों पर अभिसरण में सुधार लाने के लिए कार्यनीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह डिजिटल अवसंरचना को समर्थन, अंतिम मील ट्रैकिंग और जन सहभागिता को मजबूत करने के अलावा, पंचायतों और अन्य स्थानीय स्तर के शासन निकायों की अधिक भागीदारी और समर्थन को बढ़ावा देता है। मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं हैं – ‘संबल’ और ‘समर्थ्य’।
“संबल” उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए है। इसमें वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) और नारी अदालत का एक नया घटक शामिल हैं।
“समर्थ्य” उप योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है। इसमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), शक्ति सदन, सखी निवास, पालना और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गैप फंडिंग का एक नया घटक यानी संकल्प: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हब (एचईडब्ल्यू) है जिससे केंद्र, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और जिला स्तरों पर महिलाओं के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण की सुविधा प्राप्त हो सके ताकि एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जा सके जिसमें महिलाओं को अपनी पूरी क्षमता का एहसास हों। महिलाओं को एचईडब्ल्यू के अंतर्गत सहायता उनके सशक्तिकरण और विकास के लिए विभिन्न संस्थागत और योजनाबद्ध सेटअप के लिए मार्गदर्शन, लिंक और सहायता प्रदान करती है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, करियर और व्यावसायिक परामर्श/प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन, उद्यमिता, बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता तक पहुंच शामिल है।
मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं एक सार्वभौमिक, प्रवेश निषेध योजना है जिसके अंतर्गत गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं पूरक पोषण कार्यक्रम (एसएनपी) सहित सेवाएं प्राप्त करने की पात्र हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) भी लागू की है जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्लू और एलएम) को मजदूरी के नुकसान के आंशिक मुआवजे के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद प्रोत्साहन प्रदान करना है ताकि महिला प्रसव से पहले और बाद में पर्याप्त आराम कर सके और अपने स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में सुधार ला सके। यह योजना दूसरे बच्चे के लिए अतिरिक्त नकद प्रोत्साहन प्रदान करके बालिका के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने की भी कोशिश करती है, अगर वह एक बालिका है। इस योजना के माध्यम से 3.44 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ प्रदान किया गया है। इसके अलावा, बच्चों को डे केयर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक उप-योजना ‘पालना’ लागू की गई है। अधिक से अधिक माताओं को काम करने और देखभाल करने वालों को कार्यबल में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए आंगनवाड़ी सह क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) के माध्यम से बच्चों की देखभाल की सेवाओं का विस्तार किया गया है।