भारतीय श्रम बाजार के हालात पिछले 6 वर्षों में काफी बेहतर हो गए हैं, बेरोजगारी दर वर्ष 2022-23 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई
कार्यबल में युवाओं और महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी देश की युवा एवं महिला आबादी का सदुपयोग करने का बेहतरीन अवसर है
संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार वृद्धि दर महामारी पूर्व स्तर से अधिक हो गई है; पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी वृद्धि दर भी अपेक्षाकृत अधिक रही है
पिछले पांच वर्षों में ईपीएफओ के पेरोल में शुद्ध वृद्धि दोगुनी से भी अधिक होकर 131.5 लाख हो गई है, जिससे औपचारिक रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होने का संकेत मिलता है
भारत में पिछले छह वर्षों के दौरान श्रम बाजार के समस्त संकेतक काफी बेहतर हो गए हैं, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के डेटा से मिली इस जानकारी के साथ-साथ यह भी पता चला है कि बेरोजगारी दर वर्ष 2022-23 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश की गई ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ में उपयुक्त रोजगार अवसर सृजित करने के भारत सरकार के दृष्टिकोण पर विशेष जोर दिया गया है, जो कि भारत के युवाओं की वाजिब अपेक्षाओं के अनुरूप है और किसी भी देश में सिर्फ एक बार मिलने वाले विशाल युवा आबादी संबंधी लाभ का सदुपयोग करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
रोजगार का मौजूदा परिदृश्य
आर्थिक समीक्षा में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में रोजगार के परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिला है, जिससे जुड़े ऐसे कई सकारात्मक रुझान सामने आ रहे हैं जो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। आर्थिक समीक्षा में इसका श्रेय विभिन्न कारकों को दिया गया है जिनमें अनगिनत आर्थिक सुधार, प्रौद्योगिकी की दिशा में हुई उल्लेखनीय प्रगति, और कौशल विकास पर विशेष जोर दिया जाना शामिल हैं।