भारतीय अर्थव्यवस्था को गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक प्रतिवर्ष लगभग 78.5 लाख नौकरी उत्पन्न करने की आवश्यकता है, जिससे श्रम शक्ति में वृद्धि की जा सके
आर्थिक गतिविधि के कई क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता जड़े जमा रही है, जिसके सामूहिक कल्याण की दिशा में तकनीकी विकल्पों को अनुकूलित और संचालित करना महत्वपूर्ण है
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) के अंतर्गत प्रभावी सामाजिक सुरक्षा पहल का निर्माण
भारत का औद्योगिक क्षेत्र में लाभ वित्त वर्ष 2024 में 15 साल में सर्वाधिक
उत्तम रोजगार का निरंतर सृजन के लिए कृषि-प्रसंस्करण और केयर अर्थव्यवस्था दो उभरते क्षेत्र
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति से वैश्विक श्रमिक बाजार में व्यवधान और लगातार परिवर्तन जारी है और भारत भी इसके द्वारा होने वाले परिवर्तन से बच नहीं सकता है।
2036 तक रोजगार सृजन की आवश्यकता
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
–ग्राफिक्स-
समीक्षा में कहा गया है कि इसके लिए पीएलआई (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र टेक्सटाइल योजना (20 लाख रोजगार सृजन), मुद्रा आदि की मौजूदा योजनाओं को पूरक बनाने की गुंजाइश है।