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न्यायपालिका के लिए अवसंरचना के विकास में प्रगति

Pradeep Tiwari
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न्यायपालिका के लिए अवसंरचना के विकास में प्रगति

 

अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए न्यायिक अवसंरचना प्रदान करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। केंद्र सरकार न्यायिक अवसंरचना के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के संसाधनों की पूर्ति करती है। इस योजना में न्यायालय सभागृह और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय इकाइयों के साथ-साथ अधिवक्‍ता सभागृह, शौचालय परिसर और डिजिटल कंप्यूटर कक्ष का निर्माण शामिल है।

योजना के तहत न्यायिक अवसंरचना की प्रगति की निगरानी न्याय विकास पोर्टल 2.0 के माध्यम से की जाती है। इस पोर्टल के अनुसार, न्यायिक अधिकारियों के लिए जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में अब तक 23,074 न्यायालय कक्ष तथा 20,889 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से वर्ष 2014 से अब तक 7,256 न्यायालय सभागृह तथा 10,678 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, अभी तक 3,022 न्यायालय कक्ष तथा 2,493 आवासीय इकाइयां निर्माणाधीन हैं। पूर्ण हो चुके तथा निर्माणाधीन न्यायालय कक्षों एवं आवासीय इकाइयों का राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार विवरण संलग्न है।

वर्ष 1993-94 में योजना की शुरुआत के बाद से उत्तर प्रदेश राज्य को केंद्रीय अंश के रूप में 1,656.41 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जिसमें से चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 74.12 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के लिए अब तक कुल 2,835 न्यायालय सभागृह और 2,555 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में 329 न्यायालय सभागृह और 258 आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य चल रहा है।

अनुलग्नक

आज की तिथि के अनुसार न्यायिक अवसंरचना की उपलब्धता का राज्यवार विवरण

क्रसं.

राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र

कुल न्यायालय सभागृह

निर्माणाधीन कुल न्यायालय सभागृह*

कुल आवासीय इकाइयाँ

निर्माणाधीन कुल आवासीय इकाइयाँ*

 

1

अण्डमान और निकोबार

15

0

11

0

 

2

आंध्र प्रदेश

648

90

600

13

 

3

अरुणाचल प्रदेश

34

5

32

2

 

4

असम

421

72

385

19

 

5

बिहार

1541

184

1202

308

 

6

चंडीगढ़

29

1

29

0

 

7

छत्तीसगढ

495

58

453

837

 

8

डी एंड एन हवेली

3

0

3

0

 

9

दमन और दीव

5

3

5

0

 

10

दिल्ली

699

0

348

70

 

11

गोवा

47

32

20

0

 

12

गुजरात

1509

97

1360

65

 

13

हरियाणा

575

75

558

65

 

14

हिमाचल प्रदेश

178

10

155

7

 

15

जम्मू और कश्मीर

202

46

138

8

 

16

झारखंड

650

12

583

0

 

17

कर्नाटक

1230

166

1185

47

 

18

केरल

571

67

555

30

 

19

लद्दाख

11

0

4

0

 

20

लक्षद्वीप

3

0

3

0

 

21

मध्य प्रदेश

1602

392

1769

154

 

22

महाराष्ट्र

3683

531

3597

144

 

23

मणिपुर

42

8

16

6

 

24

मेघालय

70

25

69

90

 

25

मिजोरम

47

32

38

8

 

26

नगालैंड

30

4

39

0

 

27

ओडिशा

836

156

736

97

 

28

पुदुचेरी

34

0

27

0

 

29

पंजाब

610

21

624

33

 

30

राजस्थान

1385

350

1175

157

 

31

सिक्किम

20

6

15

1

 

32

तमिलनाडु

1242

40

1363

7

 

33

तेलंगाना

549

21

472

5

 

34

त्रिपुरा

83

27

80

33

 

35

उतर प्रदेश

2835

329

2555

258

 

36

उत्तराखंड

253

66

212

3

 

37

पश्चिम बंगाल

887

96

473

26

 

कुल

23074

3022

20889

2493

 

न्याय विकास पोर्टल के अनुसार

 

 

 

 

 

यह जानकारी विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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