नई शिक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिए उठाए गए कदम
विशेष रूप से राष्ट्र की विविध भाषाई विरासत/विविधता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के संदर्भ में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के साथ प्रौद्योगिकी के संयोजन पर विशेष जोर दिया गया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) एक भाषा संगम कार्यक्रम चला रही है, साथ ही मशीन अनुवाद प्रभाग भी है, जो विभिन्न पुस्तकों का अनुसूचित भाषाओं में अनुवाद कर रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने तकनीकी पुस्तकों सहित स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पुस्तकों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए अनुवादिनी ऐप का लाभ उठाया है। अनुवादित पुस्तकें ई-कुंभ पोर्टल पर उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) 13 भाषाओं में आयोजित की गई हैं। कुछ (एआईसीटीई) अनुमोदित संस्थानों में 8 क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जा रही है। डिजिटल ज्ञान-साझाकरण अवसंरचना (डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग, दीक्षा) पोर्टल पर 33 भारतीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें और शिक्षण संसाधन सहित पाठ्यक्रम सामग्री उपलब्ध है। अस्मिता (अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का विस्तार) शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की नई पहल है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने ओपन सोर्स में 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं के लिए वाक् और पाठ अनुवाद के लिए मुख्य भाषा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के क्रम में वर्ष 2022 में मिशन डिजिटल इंडिया भाषिणी की शुरुआत की थी। पाठ और ध्वनि में भाषा अनुवाद के लिए भाषिणी ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) को एपीआई सेतु (https://apisetu.gov.in ) पर सूचीबद्ध किया गया है। भाषिणी एपीआई किसी भी एप्लिकेशन के साथ एकीकृत करने के लिए उपलब्ध हैं।
यह जानकारी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।