खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए गोदाम
देश में खाद्यान्न भंडारण क्षमता की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 31.05.2023 को “सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना” को मंजूरी दी, जिसे प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू किया गया है। इस योजना में भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं, जैसे कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम), बागवानी के संपूर्ण विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (पीएमएफएमई) आदि को आपस में जोड़ने के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पीएसीएस – पैक्स) स्तर पर विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। इसमें गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयां, उचित मूल्य की दुकानें आदि शामिल हैं। इस योजना को विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में नाबार्ड, नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (एनएबीसीओएनएस), भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) आदि के सहयोग से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने पीएसीएस स्तर पर कार्यान्वित कर रहा है।
कृषि अवसंरचना के निर्माण की अनुमानित लागत हर क्षेत्र में अलग-अलग होती है, जो क्षेत्र में स्थल की आकृति, श्रम की लागत, पीएसीएस के चुने गए परियोजना घटकों, गोदाम के आकार आदि पर निर्भर करती है।
पीएसीएस स्तर पर विकेन्द्रीकृत भंडारण क्षमता के निर्माण का उद्देश्य किसानों को विभिन्न लाभ प्रदान करना है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
वे प्राथमिक कृषि ऋण समिति यानी पैक्स में निर्मित गोदाम में अपनी उपज का भंडारण कर सकेंगे और फसल के अगले चक्र के लिए ब्रिज फाइनेंस का लाभ उठा सकेंगे तथा अपनी पसंद के समय में उपज बेच सकेंगे, या अपनी पूरी फसल पीएसीएस को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेच सकेंगे, ताकि वे वे अपनी उपज को मजबूरी में घाटे पर बेचने से बच सकेंगे।