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खतरनाक अपशिष्ट का प्रबंधन

Pradeep Tiwari
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खतरनाक अपशिष्ट का प्रबंधन

 

भारत सरकार ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत खतरनाक अपशिष्टों (प्रबंधन, हैंडलिंग और सीमा पार आवागमन) नियम, 2008 के स्थान पर खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पार आवागमन) (एचओडब्लूएम) नियम, 2016 को अधिसूचित किया है, ताकि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पर्यावरण की दृष्टि से खतरनाक अपशिष्टों का सुरक्षित भंडारण, उपचार और निपटान सुनिश्चित किया जा सके। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश में खतरनाक अपशिष्टों के प्रभावी प्रबंधन के लिए तकनीकी दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं। ये दिशानिर्देश सीपीसीबी की वेबसाइट https://cpcb.nic.in/technical-guidelines/ पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, एक संसाधन के रूप में खतरनाक और अन्य अपशिष्टों के उपयोग के लिए, सीपीसीबी ने खतरनाक अपशिष्ट की 71 विभिन्न श्रेणियों के लिए 102 मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार की हैं।

वर्ष 2018-24 के दौरान, सीपीसीबी को 08 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी)/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) से एचओडब्लूएम नियम, 2016 के नियम 23.(2) के अनुसार संबंधित एसपीसीबी/पीसीसी द्वारा 283 दोषी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रस्ताव प्राप्त हुए। राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार विवरण नीचे दिए गए हैं:

 

क्र. सं.

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

दोषी इकाइयों की संख्या

1.

छत्तीसगढ

16

2.

गुजरात

17

3.

हरियाणा

02

4.

कर्नाटक

04

5.

महाराष्ट्र

238

6.

ओडिशा

02

7.

पुडुचेरी

01

8.

तमिलनाडु

03

 

कुल

283

 

सीपीसीबी के अनुसार, देश में 127 दूषित स्थल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ने 19 दूषित स्थलों के उपचार के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए धन मुहैया कराया है। ‘भारत में दूषित स्थलों के आकलन और उपचार’ के लिए एक मार्गदर्शन दस्तावेज एमओईएफ एंड सीसी द्वारा जारी किया गया है। सीपीसीबी ने ‘दूषित स्थलों की पहचान, निरीक्षण और मूल्यांकन’ पर एक संदर्भ दस्तावेज जारी किया है। इसके अलावा, राज्य सरकारों ने 13 दूषित स्थलों के उपचार की पहल की है।

यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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