केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा ने औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा की
भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ की अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा के अनुरूप औषधि विनियमन में वैश्विक अग्रणी देश बनने के लिए, हमें विश्व स्तरीय नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है: श्री जे पी नड्डा
“वैश्विक नियामक मानकों को प्राप्त करने के लिए, हमारा ध्यान सीडीसीएसओ और औषधि एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग में प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर होना चाहिए”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उत्पादों की उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फार्मा और चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ निरंतर संवाद पर जोर दिया
“हमें एमएसएमई क्षेत्र के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करना चाहिए और क्षेत्र की क्षमता और गुणवत्ता को मजबूत करने के लिए उनका समर्थन करना चाहिए”
राज्यों के कौशल को बढ़ाने और उन्हें केंद्र सरकार के गुणवत्ता मानकों के साथ तालमेल बिठाने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए उनके साथ काम करना महत्वपूर्ण है: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
“भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ की अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा के अनुरूप औषधि विनियमन में वैश्विक अग्रणी देश बनने के लिए, हमें अपने परिचालन के पैमाने और अंतर्राष्ट्रीय अपेक्षाओं के अनुरूप विश्व स्तरीय नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा ने आज यहां औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा करते हुए कही। उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा, भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ राजीव सिंह रघुवंशी और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
दवाओं के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री जे पी नड्डा ने सीडीएससीओ द्वारा अपने कार्यादेश के तहत वैश्विक मानकों को प्राप्त करने की समयसीमा के साथ एक रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एकरूपता, तकनीकी उन्नयन और भविष्य–उन्मुख दृष्टिकोण के उच्चतम मानकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्नयन को प्रणाली–आधारित होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात के लिए, उचित हस्तक्षेप के लिए प्रणाली तैयार की जानी चाहिए, ताकि निर्यात की जा रही औषधियों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।