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इंदौर में एक ट्रक ने महिला समेत एक्टिवा को लिया चपेट में

Pradeep Tiwari
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सड़क दुर्घटना में देवास निवासी डॉक्‍टर की मौत के बाद देवास से इंदौर के बीच बदहाल परिवहन व्यवस्था पर लोगों ने आक्रोश जताया है।घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक चालक को गिरफ्तार कर लिया। युवती कास्मेटोलाजिस्ट थीं। वह इंदौर में ही क्लीनिक चलाती थीं।

देवास की युवती की इंदौर में सड़क हादसे में मौत हो गई। युवती का नाम 29 वर्षीय अनामिका पुत्री अनोखीलाल निवासी राधागंज है। गुरुवार सुबह वह एक्टिवा से इंदौर जा रही थी। सेंटर पाइंट पर ट्रक ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में उसकी मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक युवती डाक्टर थी। उसका इंदौर में क्लीनिक था। वह भाई के साथ इंदौर में ही रहती थी। सप्ताह में एक बार माता-पिता से मिलने देवास आती और रात यहां रुककर अगले दिन इंदौर चली जाती।

बुधवार शाम को वह इंदौर से देवास आई थी। रातभर माता-पिता के साथ रुकीं गुरुवार सुबह एक्टिवा से इंदौर के लिए निकलीं। सेंटर पाइंट पहुंचते ही तेज रफ्तार ट्रक ने एक्टिवा को टक्कर मार दी।
 
बताया गया कि ट्रक में एक्टिवा फंस गई और कुछ दूरी तक ट्रक चालक उसे घसीटते हुए ले गया। आसपास के लोगों ने ट्रक चालक को पकड़ लिया था।
 
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक चालक को गिरफ्तार किया। स्वजन के अनुसार अनामिका उसके भाई अमित के साथ इंदौर ही रहती थीं। अमित की शादी हो चुकी है।
 
अनामिका काॅस्मेटोलाॅजिस्ट थीं। इंदौर में ही क्लीनिक चलाती थीं। भाई निजी कंपनी में कार्यरत है। पिता अनोखीलाल बीएनपी में कार्यरत हैं। उन्हें घटना की सूचना सुबह 11.30 बजे मिली।
 
सूचना मिलते ही स्वजन बदहवास हो गए। घटनास्थल पहुंचे। एमवाय अस्पताल इंदौर में शव का पोस्टमार्टम हुआ, जिसके बाद स्वजन के सुपुर्द किया। देवास में अंतिम संस्कार किया।
 
इस घटना के बाद देवास में इंटरनेट मीडिया पर परिवहन व्यवस्था की बदहाली पर सवाल उठाए गए। कई लोगों ने लिखा कि देवास से इंदौर के बीच सिर्फ उपनगरीय बसें चलती हैं।
 
पहले सिटी बसें शुरू की गई थीं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता से वे भी बंद हो गईं। इस कारण देवास से इंदौर अपडाउन करने वाले कई लोग खुद के वाहन से ही इंदौर आना-जाना करते हैं।
 
बसों की हालत खराब है और आए दिन ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड की शिकायत होती है। सिटी बसें चलने के दौरान भी उपनगरीय बसों के संचालक विवाद करते थे।
 
राजनीतिक रसूख होने के चलते कोई कुछ नहीं कह पाता था। इसके चलते सिटी बसों की संख्या पहले कम हुई और अब बंद ही हो गई। शहरवासियों ने सवाल भी उठाए कि सांसद-विधायक मेट्रो ट्रेन की बातें करते हैं, लेकिन सिटी बस तक नहीं चला पा रहे।
Pradeep Tiwari

Pradeep Tiwari

मैं, प्रदीप तिवारी, पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हूँ। सबसे पहले, मैं एक स्थानीय समाचार चैनल में एक रिपोर्टर के रूप में शामिल हुआ और फिर समय के साथ, मैंने लेख लिखना शुरू कर दिया। मुझे राजनीति और ताज़ा समाचार और अन्य विषयों से संबंधित समाचार लिखना पसंद है।

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